FILM KGF के एक्टर का निधन, इलाज़ के लिए नहीं थे 70 लाख रुपए, किसी ने नहीं की मदद

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हरीश राय: एक प्रतिभाशाली अभिनेता की दर्दनाक विदाई और सिस्टम की विफलता

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में हर साल कई कलाकार आते हैं, कुछ चमकते हैं, कुछ खो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं जो न सिर्फ इंडस्ट्री बल्कि समाज को भी झकझोर देती हैं। हाल ही में कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता हरीश राय के निधन की खबर ने पूरे देश को गमगीन कर दिया। केजीएफ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म में चाचा का किरदार निभाकर करोड़ों दिलों में जगह बनाने वाले हरीश राय अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनका निधन जितना दुखद है, उतना ही सवालों से भरा भी है—क्या एक कलाकार को इलाज के लिए पैसे नहीं मिल सकते? क्या इंडस्ट्री इतनी असंवेदनशील हो गई है कि उसके अपने ही कलाकार आर्थिक तंगी के कारण दम तोड़ दें?

हरीश राय: संघर्ष और सफलता की कहानी

हरीश राय का जन्म कर्नाटक के एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था। उन्होंने थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की और धीरे-धीरे कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई। हरीश राय ने तमिल और तेलुगु फिल्मों में भी काम किया। उनका अभिनय हमेशा वास्तविकता के करीब रहा, जिसके चलते उन्हें कई बार आलोचकों की सराहना मिली।

FILM KGF के एक्टर का निधन, इलाज़ के लिए नहीं थे 70 लाख रुपए, किसी ने नहीं  की मदद

लेकिन उनकी असली पहचान बनी फिल्म “केजीएफ” से, जिसमें उन्होंने चाचा का किरदार निभाया। इस किरदार में उनकी सहजता और भावनात्मक गहराई ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके अलावा “ओम” फिल्म में डॉन राय का किरदार भी काफी चर्चित रहा। हरीश राय ने अपने अभिनय से यह साबित किया कि प्रतिभा किसी भाषा या क्षेत्र की मोहताज नहीं होती।

बीमारी और आर्थिक तंगी

हरीश राय पिछले कई सालों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उन्हें थ्रोट कैंसर था, जो धीरे-धीरे पेट तक फैल गया था। उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। शरीर कमजोर हो गया था, पेट में पानी भर गया था, सूजन आ गई थी। सोशल मीडिया पर उनके फैंस लगातार उनके लिए दुआ कर रहे थे। हरीश खुद भी अपनी बीमारी के बारे में अपडेट देते रहते थे। उन्होंने बताया था कि इलाज का खर्च इतना ज्यादा है कि वह सही इलाज नहीं करा पा रहे हैं।

उनके इलाज के लिए 17 से 20 इंजेक्शन लगने थे, जिनकी कीमत 70 लाख रुपये के आसपास थी। एक इंजेक्शन की कीमत ही लाखों में थी। इतने बड़े खर्च को उठाना उनके लिए नामुमकिन था। उन्होंने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर गोपी गुड्डू से भी मदद मांगी थी और एक वीडियो में खुलकर अपनी आर्थिक तंगी के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था, “मैं ठीक होकर फिर एक्टिंग की दुनिया में लौटना चाहता हूं, लेकिन इलाज का खर्च इतना ज्यादा है कि मैं अपना इलाज सही तरीके से नहीं करा पा रहा हूं।”

इंडस्ट्री का रवैया और यश की मदद

जब उनसे पूछा गया कि क्या केजीएफ के स्टार यश ने उनकी मदद की, तो हरीश ने कहा, “यश ने मेरी मदद की, लेकिन बार-बार उनसे मदद नहीं मांग सकता। एक ही व्यक्ति कितनी बार मदद कर सकता है। मैंने उन्हें अपनी मौजूदा हालत के बारे में नहीं बताया। लेकिन मुझे यकीन है कि अगर उन्हें पता चलता तो वह मदद जरूर करते। वे इस वक्त अपनी फिल्म के सिलसिले में बिजी हैं। लेकिन मैं हमेशा बस एक कॉल की दूरी पर हूं। मेरे अपने परिवार से उन्होंने कहा था कि वह मेरे साथ हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि वह मदद से पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि मैं उनसे मदद नहीं लेना चाहता हूं।”

यह बयान बताता है कि हरीश राय एक स्वाभिमानी कलाकार थे। उन्होंने मदद तो मांगी, लेकिन बार-बार किसी के आगे हाथ फैलाना उन्हें मंजूर नहीं था। उनका भरोसा था कि इंडस्ट्री उनके साथ है, लेकिन हकीकत यह है कि सिस्टम ने उन्हें अकेला छोड़ दिया।

सिस्टम की विफलता और कलाकारों का भविष्य

हरीश राय की मौत सिर्फ एक कलाकार की मौत नहीं है, यह सिस्टम की विफलता की कहानी है। एक ऐसा कलाकार जिसने सालों तक इंडस्ट्री को अपना योगदान दिया, वह इलाज के पैसे के लिए तरसता रहा। क्या इंडस्ट्री में कोई ऐसा सिस्टम नहीं है जो जरूरतमंद कलाकारों की मदद कर सके? क्या फिल्म संघ, प्रोड्यूसर, बड़े स्टार्स, या सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है?

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कई उदाहरण हैं जब कलाकार आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पाए और दुनिया छोड़ गए। यह सिर्फ कन्नड़ या दक्षिण भारतीय इंडस्ट्री की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या है। जब तक कोई कलाकार सुपरस्टार नहीं बन जाता, उसकी आर्थिक स्थिति हमेशा अस्थिर रहती है। छोटे कलाकार, तकनीशियन, कैमरामैन, डबिंग आर्टिस्ट—इन सबकी जिंदगी संघर्ष से भरी होती है। हरीश राय की मौत ने एक बार फिर इस कड़वी हकीकत को सामने ला दिया है।

सोशल मीडिया और फैंस की प्रतिक्रिया

हरीश राय की मौत के बाद सोशल मीडिया पर शोक की लहर दौड़ गई। फैंस ने उनकी याद में पोस्ट लिखे, उनकी फिल्मों के क्लिप शेयर किए, और सिस्टम पर सवाल उठाए। दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री इस घटना से गमगीन है। कई बड़े स्टार्स ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं, लेकिन सवाल वही है—क्या संवेदनाएं ही काफी हैं? क्या इंडस्ट्री को अब कोई ठोस कदम नहीं उठाना चाहिए?

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने लिखा कि अगर यह बात एक्टर्स को पहले पता चलती तो यकीनन आर्थिक सहायता दी जा सकती थी। यह बात सही है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या इंडस्ट्री में कोई ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां कलाकार अपनी परेशानी खुलकर साझा कर सकें और तुरंत मदद मिल सके?

कलाकारों के लिए सुरक्षा और सहायता

विदेशों में फिल्म इंडस्ट्रीज में कलाकारों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस, पेंशन, और इमरजेंसी फंड जैसी व्यवस्थाएं हैं। भारत में भी कुछ फिल्म संघ हैं, लेकिन उनकी पहुंच सीमित है। बड़े स्टार्स के पास तो पैसा होता है, लेकिन छोटे कलाकारों के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। हरीश राय जैसे प्रतिभाशाली कलाकार अगर इलाज के पैसे के लिए परेशान हों, तो यह इंडस्ट्री के लिए शर्म की बात है।

जरूरी है कि फिल्म इंडस्ट्री अपने कलाकारों के लिए एक मजबूत हेल्थ फंड बनाए, जिसमें हर फिल्म से एक निश्चित राशि जमा हो। इसके अलावा सरकार को भी कलाकारों के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए, ताकि कोई भी कलाकार इलाज के अभाव में अपनी जान न गंवाए।

हरीश राय की विरासत

हरीश राय भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कला, उनकी फिल्में, उनका संघर्ष, और उनकी सादगी हमेशा याद रहेगी। उन्होंने अपने अभिनय से यह साबित किया कि असली कलाकार वही है जो हर किरदार को जी लेता है। केजीएफ के चाचा हों या ओम के डॉन राय, हर किरदार में उन्होंने जान डाल दी।

उनकी मौत ने इंडस्ट्री को झकझोर दिया है। अब वक्त आ गया है कि इंडस्ट्री अपने कलाकारों के लिए ठोस कदम उठाए। संवेदनाएं और श्रद्धांजलि तो हर कोई देता है, लेकिन असली श्रद्धांजलि तभी होगी जब कोई और हरीश राय इलाज के पैसे की कमी से न मरे।

निष्कर्ष

हरीश राय की मौत एक संदेश है—इंडस्ट्री को अपने कलाकारों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए गंभीरता से सोचना होगा। हर कलाकार, चाहे वह कितना भी बड़ा हो या छोटा, इंडस्ट्री का अभिन्न हिस्सा है। उनके लिए हेल्थ फंड, इंश्योरेंस और इमरजेंसी सहायता अनिवार्य होनी चाहिए।

हम सबको मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी कलाकार इलाज के अभाव में अपनी जान न गंवाए। हरीश राय की मौत एक चेतावनी है, एक अपील है, एक जिम्मेदारी है—जिसे पूरा करना अब इंडस्ट्री और समाज दोनों का कर्तव्य है।