PART 2 :धर्मेंद्र के जाते ही आधी रात को सलमान से मिलने क्यों गयी हेमा मालिनी ? Hema malini and Salman khan
भाग 2: हेमा मालिनी और सलमान खान की रात की मुलाकात
रात का सन्नाटा
24 नवंबर 2025 की रात, जब धर्मेंद्र जी का निधन हुआ, तो पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। इस दुखद घटना के बाद, हेमा मालिनी का सलमान खान के घर आधी रात को पहुंचना सभी के लिए एक रहस्य बन गया। सन्नाटे में घिरी रात और रोने से सूजी हुई आंखों के साथ, हेमा ने एक ऐसा कदम उठाया जो कई सवाल खड़े करता है। आखिरकार, इस मुलाकात के पीछे की वजह क्या थी?
हेमा की भावनाएं
हेमा मालिनी, जो अपने पति के निधन के बाद गहरे दुख में थीं, सलमान खान के पास पहुंचीं। गैलेक्सी अपार्टमेंट में पहुंचकर, उनका चेहरा रोने से सूजा हुआ था। सलमान खान, जो धर्मेंद्र जी को बेटे की तरह मानते थे, ने तुरंत उनकी भावनाओं को समझा। उन्होंने कहा, “आपको यहाँ देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है।”
हेमा ने कहा, “मैं अपनी बेटियों के लिए आई हूं। मुझे ईशा और अहाना के लिए न्याय चाहिए।” यह वाक्य उस दर्द को दर्शाता है जो वह महसूस कर रही थीं। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने लिए कुछ नहीं चाहिए, लेकिन उनकी बेटियों का हक क्यों नहीं? यह एक मां का आरोप था, जिसे सलमान को समझना था और परिवार तक पहुंचाना भी।
पारिवारिक तनाव का खुलासा
धर्मेंद्र जी की विदाई के समय, पारिवारिक तनाव साफ नजर आ रहा था। सनी और बॉबी ने अपनी मां प्रकाश कौर के साथ मिलकर सभी रस्में निभाईं। लेकिन हेमा मालिनी और उनकी बेटियों को इस प्रक्रिया से दूर रखा गया। यह स्थिति परिवार के अंदर के रिश्तों को और भी जटिल बना देती है।
जब परिवार में कोई बड़ा नुकसान होता है, तो रिश्तों की दूरी साफ नजर आती है। बेटियों को अपने पिता की अस्थियों को विसर्जित करने का अधिकार नहीं दिया गया। यह एक ऐसा मुद्दा था जो हेमा मालिनी के लिए बेहद संवेदनशील था। उन्होंने सलमान को बताया कि वह अपनी बेटियों के लिए न्याय चाहती हैं, और यह बात सलमान को भी समझ में आई।
सलमान का मध्यस्थता का प्रयास
सलमान खान ने हेमा की बात सुनी और उन्हें आश्वासन दिया कि वह स्थिति को समझने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं कोशिश करूंगा, लेकिन सनी भैया भावुक हैं और उनके इरादे गलत नहीं होते।” सलमान ने सनी देओल से बात की और उन्हें स्थिति के बारे में बताया।
सनी ने सलमान को बताया कि पापा के संस्कार घर की परंपराओं से करने थे और उन्होंने किसी को रोका नहीं। लेकिन यह भी सच था कि ईशा और अहाना को पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका नहीं मिला। यह स्थिति दोनों परिवारों के बीच तनाव को और बढ़ा रही थी।
मीडिया की भूमिका और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस पूरी घटना के दौरान, मीडिया ने भी अपनी भूमिका निभाई। सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर कई चर्चाएं हुईं कि हेमा मालिनी को परिवार में उचित सम्मान नहीं दिया गया। लोग यह भी कहने लगे कि उनकी बेटियों को भी अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने का अधिकार मिलना चाहिए था।
यहां तक कि कई फैंस ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और सवाल उठाए कि आखिरकार एक मां और बेटियों को उनके अधिकार से क्यों वंचित रखा गया। इस स्थिति ने परिवार के अंदर की भावनाओं को और भी जटिल बना दिया।
परिवार की नई शुरुआत की कोशिश
हेमा मालिनी ने सलमान खान से अपनी भावनाएं साझा कीं और कहा, “मैं चाहती हूं कि मेरे बेटियों को उनका हक मिले। मैं नहीं चाहती कि वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल न हो सकें।” सलमान ने कहा, “आपकी बात सही है, और मैं कोशिश करूंगा कि यह स्थिति बदले।”
इस बातचीत के बाद, सलमान खान ने सनी देओल को फिर से फोन किया और उन्हें समझाया कि हेमा और उनकी बेटियों को भी यह मौका मिलना चाहिए। सनी ने थोड़ी देर सोचा और कहा, “मैं समझता हूं, लेकिन यह सब हमारे परिवार की परंपरा है।”

एक नई पहचान
हेमा मालिनी और सलमान खान की मुलाकात ने एक नई उम्मीद जगाई। सलमान ने हेमा को आश्वासन दिया कि वह उनके लिए हमेशा खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा, “आपकी बेटियों का हक है कि वे अपने पिता को विदाई दें। हम सब एक परिवार हैं।”
सनी ने भी अपने मन में यह सोच लिया कि उन्हें अपने पिता की यादों को जिंदा रखने के लिए हेमा और उनकी बेटियों को स्वीकार करना होगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जो परिवार के बीच की दूरियों को खत्म करने में मदद कर सकता था।
अंत में
धर्मेंद्र जी का निधन सिर्फ एक सुपरस्टार की मौत की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक परिवार की भावनाओं की कहानी है। एक मां का दर्द, बेटियों की खामोशी और बेटों का कर्तव्य, जिसे कभी-कभी दुनिया गलत भी समझती है।
इस घटना ने हमें यह सिखाया कि परिवार चाहे कितना बड़ा हो, दुख के समय रिश्तों की दूरी साफ नजर आती है। परंपराओं का सम्मान जरूरी है, लेकिन बेटियों की भावनाएं भी कम नहीं होतीं। सबसे बड़ी बात यह है कि जब एक परिवार टूटता है, तो बाहर की दुनिया केवल कहानी देखती है, लेकिन अंदर असली दर्द वही सहते हैं जो उससे गुजर रहे होते हैं।
आप बताइए, क्या ईशा और अहाना को धर्मेंद्र की अस्थि विसर्जन में जाना चाहिए था? क्या बेटियों को भी वही अधिकार मिलने चाहिए जो बेटों को मिलते हैं? क्या परिवार को इस मुद्दे पर खुलकर बात करनी चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर लिखें।
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