“क्यों मीडिया से गायब रहीं धर्मेंद्र की दोनों बेटियां? 😲 Bollywood Hidden Story: Dharmendra property

धर्मेंद्र: देओल परिवार की अनकही कहानियाँ और उनकी बेटियाँ

प्रारंभ

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन 24 नवंबर 2025 को हुआ, जिसने न केवल उनके परिवार बल्कि उनके प्रशंसकों को भी गहरे सदमे में डाल दिया। धर्मेंद्र, जिन्हें ‘ही मैन’ के नाम से जाना जाता है, ने अपने करियर में कई सफल फिल्में दीं और लाखों दिलों में एक खास जगह बनाई। उनके निधन के बाद, देओल परिवार के बारे में कई बातें सामने आ रही हैं, जिनमें उनकी बेटियों विजेता और अजीता का नाम भी शामिल है।

देओल परिवार का परिचय

जब भी देओल परिवार का नाम लिया जाता है, तो सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा देओल और अहाना देओल जैसे चार प्रमुख नाम सामने आते हैं। लेकिन इस परिवार में दो और बेटियां हैं—विजेता देओल और अजीता देओल। ये दोनों बेटियां हमेशा बॉलीवुड की चकाचौंध से दूर रहीं, लेकिन धर्मेंद्र के दिल के बेहद करीब मानी जाती हैं।

धर्मेंद्र ने अपनी पहली पत्नी प्रकाश कौर से शादी की थी, जिससे उनके चार बच्चे हुए: सनी, बॉबी, विजेता, और अजीता। बाद में, उन्होंने हेमा मालिनी से शादी की, जिनसे उनकी दो बेटियां हैं: ईशा और अहाना।

विजेता देओल: एक शांत जीवन

विजेता देओल का नाम सुनते ही आपको धर्मेंद्र के प्रोडक्शन हाउस ‘विजेता फिल्म्स’ की याद आ सकती है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस प्रोडक्शन हाउस का नाम विजेता के नाम पर रखा गया था, जो सनी देओल के कहने पर हुआ। धर्मेंद्र ने अपनी बेटी के नाम को हमेशा जिंदा रखने के लिए अपना पूरा प्रोडक्शन हाउस उसके नाम कर दिया।

हालांकि, विजेता ने कभी फिल्मी दुनिया का हिस्सा बनना नहीं चाहा। उनके लिए शांति, सादगी और परिवार यही तीन चीजें थीं। उन्होंने फिल्मी दुनिया को अलविदा कहकर अमेरिका के कैलिफोर्निया में अपना घर बसाया। वहां उन्होंने विवेक गिल से शादी की और आज वे अपने परिवार के साथ एक शांत, खुशहाल और लाइमलाइट से दूर जिंदगी जी रही हैं।

विजेता के दो बच्चे हैं: प्रेरणा गिल, जो एक बेहतरीन राइटर हैं, और साहिल गिल, जो मीडिया से दूर अपनी निजी दुनिया में खुश हैं। प्रेरणा ने दिल्ली के जानेमाने वकील पुलकित देवड़ा से शादी की है।

अजीता देओल: गुमनाम जिंदगी

धर्मेंद्र की दूसरी बेटी अजीता देओल भी अपनी बहन विजेता की तरह पब्लिक लाइफ से दूर रहती हैं। उनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं क्योंकि उन्होंने हमेशा कैमरे से दूरी बनाए रखी। अजीता ने एक शांत, सुखद और निजी जीवन जीने का चुनाव किया है।

विजेता और अजीता ने कभी भी फिल्म इंडस्ट्री की चमक-दमक को नहीं अपनाया। वे अपनी पसंद का शांत जीवन जीना चाहती थीं, जिसमें किसी प्रकार का मीडिया प्रेशर न हो। धर्मेंद्र ने अपनी बेटियों को हमेशा प्रोत्साहित किया कि वे अपनी पसंद का जीवन जिएं।

धर्मेंद्र का पारिवारिक प्रेम

धर्मेंद्र का परिवार हमेशा उनके लिए महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने अपने बच्चों को एकजुट रहने और एक-दूसरे का समर्थन करने की सलाह दी। विजेता और अजीता ने अपने पिता के इस प्रेम को हमेशा महसूस किया। धर्मेंद्र ने कभी भी अपनी बेटियों को सामने नहीं लाया, क्योंकि वह चाहते थे कि वे अपनी पसंद का जीवन जिएं।

धर्मेंद्र की वसीयत और संपत्ति का बंटवारा

धर्मेंद्र के निधन के बाद, उनकी वसीयत और संपत्ति का बंटवारा चर्चा का विषय बन गया है। यह कहा जा रहा है कि धर्मेंद्र की संपत्ति, जो लगभग 450 करोड़ रुपये की है, में सभी बच्चों को हिस्सा दिया जाएगा। लेकिन हेमा मालिनी को कुछ भी नहीं मिलेगा।

यह सुनने में आता है कि धर्मेंद्र की वसीयत में उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर की दोनों बेटियां विजेता और अजीता भी शामिल हैं। जिन बेटियों ने शोहरत को ठुकराया, उन्हें उनके पिता की संपत्ति में उनका हक और हिस्सा जरूर मिलेगा।

रिश्तों की जटिलता

धर्मेंद्र की वसीयत ने देओल परिवार के रिश्तों को और भी पेचीदा बना दिया है। जहां हेमा मालिनी और उनकी बेटियां ईशा और अहाना हमेशा लाइमलाइट में रही हैं, वहीं विजेता और अजीता ने खुद को दूर रखा। यह सिर्फ दूरी नहीं थी, बल्कि एक चुनाव था—एक तरफ ग्लैमर, प्रचार और कैमरे के सामने मुस्कुराने की जिम्मेदारी, और दूसरी तरफ खामोशी, निजता और गुमनामी में संतुष्टि।

एक पिता का स्नेह

धर्मेंद्र ने अपने पहले परिवार और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को हमेशा सबसे ऊपर रखा। यह साबित करता है कि पैसों से बड़ा है दिल का रिश्ता। विजेता और अजीता ने अपनी शांति और मर्यादा को उस फिल्मी विरासत से भी ऊपर रखा, जिसने उनके पिता को ‘ही मैन’ बनाया।

निष्कर्ष

धर्मेंद्र की कहानी सिर्फ एक फिल्म स्टार की नहीं, बल्कि एक पिता, पति और इंसान की भी है। उन्होंने जिंदगी भर पर्दे पर विलेन को हराया, लेकिन असली जिंदगी में उन्हें अपने ही घर में शांति बनाए रखनी पड़ी।

धर्मेंद्र साहब की यह कहानी हर इंसान को सोचने पर मजबूर कर देती है। क्या इंसान अपने परिवार की खुशियों के लिए सब कुछ दांव पर लगा सकता है?

आपकी राय हमारे लिए बहुत कीमती है। आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी सोच जरूर लिखिएगा।

धर्मेंद्र साहब आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी सदाबहार फिल्में आज भी हमारे साथ हैं। और इसका मतलब है कि वह आज भी हमारे बीच ही हैं।

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