गाँव में दो बिल्कुल अपने जैसे बच्चों को देख अरबपति चौंका—माँ की पहचान पता चलने पर ज़मीन पर गिर पड़ा!
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टूटे रिश्तों की नई सुबह
कबीर की जिंदगी एक बार चमकदार शहर की ऊँची इमारतों और चमकीली गाड़ियों से भरी थी। वह एक सफल बिजनेसमैन था, जिसकी दुनिया में सब कुछ था—पैसा, प्रतिष्ठा, और एक खूबसूरत मंगेतर नताशा। पर उसकी जिंदगी का एक अंधेरा हिस्सा था, जिसे वह छुपाता रहता था।
8 साल पहले कबीर ने गांव की एक लड़की, मीरा से शादी की थी। मीरा गरीब लेकिन दिल की बहुत बड़ी थी। उसने कबीर से सच्चा प्यार किया, पर कबीर के सपनों में शहर की चमक थी, न कि गांव की मिट्टी की खुशबू। शादी के कुछ महीनों बाद कबीर ने मीरा और उनके दो बच्चों, आरव और अर्जुन को छोड़ दिया। उसने सोचा था कि पैसे कमाकर वह उन्हें बेहतर जिंदगी देगा, लेकिन वह खुद ही कहीं खो गया।
आज कबीर अपने पुराने गांव में एक नए प्रोजेक्ट के लिए आया था। शाम की उमस भरी हवा में जब वह अपने रिसॉर्ट की साइट पर खड़ा था, तभी दो बच्चे उसके पास आए। वे समोसे बेच रहे थे। बच्चों की मासूम आंखें और उनके चेहरे पर पसीना देख कबीर का दिल धक से रह गया। वे बच्चे उसकी तरह ही लग रहे थे। उसने उनसे समोसे खरीद लिए और उनका नाम पूछा—आरव और अर्जुन। वह हैरान था कि ये वही बच्चे थे जो उसकी जिंदगी का हिस्सा थे।
कबीर ने बच्चों के पीछे चलते हुए मीरा के घर तक पहुंचा। वह दुबली-पतली, थकी हुई लेकिन अब भी खूबसूरत थी। मीरा ने उसे देखा और उसकी आंखों में गुस्सा, दर्द और एक दीवार थी जो उसने खुद बनाई थी। उसने कबीर को दरवाजा बंद कर दिया, लेकिन कबीर ने हार नहीं मानी।
कबीर ने मीरा से माफी मांगी, अपनी गलतियों को स्वीकार किया और बच्चों के साथ वक्त बिताने की कोशिश की। उसने महसूस किया कि पैसा और सफलता से ज्यादा कीमती है परिवार का साथ। मीरा ने भी अपने दिल के दरवाजे धीरे-धीरे खोलने शुरू किए।
धीरे-धीरे कबीर ने बच्चों के लिए खिलौने, दूध और किताबें लाना शुरू किया। उसने बच्चों के साथ समोसे बेचना भी सीखा। बच्चों की खुशी देखकर मीरा का दिल पिघला। कबीर ने मीरा के लिए एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोला, जहां मीरा अपने हाथों से स्वादिष्ट खाना बनाती।
कबीर ने मुंबई में अपनी कंपनी का आधा हिस्सा बेच दिया और गांव में अपनी नई जिंदगी शुरू की। उसने नताशा से अपने रिश्ते को खत्म किया और पूरी तरह से अपने परिवार के लिए समर्पित हो गया।
एक दिन जब मीरा की मां बीमार पड़ गईं, कबीर ने बिना देर किए उन्हें अस्पताल पहुंचाया। इस घटना ने मीरा और कबीर के बीच की दूरी को पूरी तरह मिटा दिया। वे फिर से एक परिवार बन गए।
आरव और अर्जुन स्कूल में अव्वल आने लगे। उनकी मासूमियत और खुशियों ने कबीर और मीरा की जिंदगी में नई रोशनी भर दी। कबीर ने वादा किया कि वह कभी भी अपने परिवार से दूर नहीं जाएगा।
कहानी का अंत एक खूबसूरत सुबह के साथ होता है, जहां पूरा परिवार साथ बैठा होता है, हँसता है, खेलता है और जिंदगी के हर पल को जीता है। कबीर ने सीखा कि असली सफलता वही है, जहां परिवार साथ हो, प्यार हो और समझदारी हो।
संदेश:
जीवन में गलतियां हो सकती हैं, पर उनसे सीखकर रिश्तों को सुधारना सबसे बड़ी ताकत होती है। परिवार की अहमियत को कभी कम मत समझो, क्योंकि यही हमारी असली दौलत है।
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