मंदिर में प्रसाद बाँट रही पत्नी, सामने खड़ा था वही करोड़पति पति जिसे उसने गरीबी में ठुकरा दिया!
सुबह का वक्त था। मंदिर की घंटियों की आवाज पूरे कस्बे में गूंज रही थी। श्रद्धालुओं की भीड़ लगी थी और मंदिर के एक कोने में बैठी थी सीमा। साधारण कपड़े, चेहरे पर थकान, लेकिन आंखों में हल्की चमक। वह भक्तों को प्रसाद बांट रही थी, लेकिन उसके दिल में पछतावे का तूफान चल रहा था। कभी यही सीमा अपने पति अरुण के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहती थी। अरुण मेहनती था, लेकिन किस्मत ने उसका साथ कभी नहीं दिया। गरीबी और तानों से तंग आकर सीमा ने एक दिन अरुण को छोड़ दिया और एक अमीर आदमी से शादी कर ली।
अरुण टूट चुका था। अकेलेपन और दर्द ने उसे बदल डाला। उस रात उसने आसमान की तरफ देखा और कसम खाई—”एक दिन वही औरत मेरे सामने सिर झुकाकर खड़ी होगी।” सालों की मेहनत, संघर्ष और ईमानदारी ने अरुण की किस्मत बदल दी। वह मजदूर से करोड़पति बन गया। शहर में उसकी कंपनी, बंगला, गाड़ियों का काफिला था, लेकिन दिल में खालीपन था।
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फिर किस्मत ने एक बार फिर खेल खेला। मंदिर के आंगन में अरुण प्रसाद लेने गया। सामने प्रसाद बांट रही थी सीमा। उसकी आंखें अरुण को देखकर कांप गईं। वह आदमी जिसे उसने गरीबी में ठुकरा दिया था, आज करोड़पति बनकर सामने खड़ा था। अरुण ने उसकी आंखों में देखा—न कोई गुस्सा, न कोई शिकायत, बस एक सवाल—क्या यही तेरी मंजिल थी, सीमा?
मंदिर का आंगन खाली हो रहा था, लेकिन सीमा का दिल वहीं अटका था। यादें चलचित्र की तरह सामने घूमने लगीं। उसे वह दिन याद आया जब अरुण भूखा-प्यासा उसके लिए सस्ती साड़ी लेकर आया था, जब बरसात में कच्चा घर टपकता था और अरुण ने छत पर बोरी बिछाई थी। सीमा का मन चिल्ला रहा था—अरुण, मैं गलत थी। लेकिन उसके होंठ सिले थे।
अरुण मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा था। उसके चेहरे पर शांति थी, लेकिन दिल में तूफान। वह कभी सीमा को अपनी दुनिया मानता था, लेकिन सीमा ने उसे बेरहमी से छोड़ दिया था। अब वही औरत टूटे हुए पछतावे में डूबी उसके सामने थी। सीमा ने हिम्मत जुटाकर अरुण के पास कदम बढ़ाए। “कैसे हो?” उसने कांपते स्वर में पूछा। अरुण ने हल्की मुस्कान दी—”जैसा तुम चाहती थी, सीमा। अब मैं अच्छा हूं।”
सीमा की आंखों में आंसू थे। “अरुण, मैंने गलती की थी। उस वक्त मुझे समझ नहीं आया।” लेकिन अरुण ने हाथ उठाकर उसे रोक दिया। “अब यह बातें बेईमानी हैं। जो रिश्ता तुमने छोड़ा था, वो अब राख बन चुका है। राख में दोबारा आग नहीं जलाई जाती।”
सीमा पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ी रह गई। अरुण बिना कुछ कहे गाड़ी की ओर बढ़ गया। सीमा उसकी पीठ देखती रह गई। उस रात सीमा को नींद नहीं आई। उसके कानों में बार-बार गूंजता रहा—”राख में दोबारा आग नहीं जलाई जाती।”
सीमा ने हिम्मत जुटाई और अरुण के बंगले पहुंची। चौकीदार ने उसे रोका, लेकिन जैसे-तैसे अंदर पहुंची। आलीशान घर देखकर उसकी आंखें भर आईं। अरुण ने उसकी ओर देखा—उसकी आवाज ठंडी थी। “क्यों आई हो?” सीमा रो पड़ी। “अरुण, मैं जानती हूं मैंने गुनाह किया है। अब मेरे पास कोई नहीं है। मैं अकेली हूं।”
अरुण की आंखें भर आईं, लेकिन उसने कहा—”जिस दिन तुमने मुझे छोड़ा था, उस दिन हमारा रिश्ता खत्म हो गया। आज मैं तुम्हें सिर्फ एक अजनबी की तरह देखता हूं। माफ कर सकता हूं, लेकिन वापस अपना नहीं सकता।”
सीमा का दिल चीर गया। वह बाहर निकल गई। लेकिन किस्मत ने एक और खेल खेला। अरुण की फैक्ट्री में अचानक धमाका हुआ। अरुण ने अपनी जान की परवाह किए बिना मजदूरों को बचाया। सीमा दौड़कर अस्पताल पहुंची और अरुण की सेवा करने लगी। अरुण का दिल अब भी दीवार बना हुआ था, लेकिन सीमा की सेवा और सच्चे पछतावे ने धीरे-धीरे उसे बदलना शुरू किया।
एक दिन अरुण को पता चला कि सीमा ने छुपकर उसकी कंपनी में पैसे लगाए थे, उसकी मदद की थी। वह हैरान था, लेकिन भरोसे की दीवार तुरंत नहीं टूटी। फिर अचानक कंपनी में बड़ा धोखा हुआ। अरुण का सबसे बड़ा पार्टनर दौलत लेकर भाग गया। सबने अरुण से मुंह मोड़ लिया, लेकिन सीमा उसके साथ खड़ी रही। उसने पुराने निवेशकों से बात की, कर्मचारियों को संभाला और कंपनी को फिर से स्थिरता दिलाई।
एक शाम, कंपनी की सफलता के जश्न में, अरुण ने सबके सामने कहा—”अगर मैं आज यहां हूं तो सिर्फ अपने संघर्ष की वजह से नहीं, बल्कि उस औरत की वजह से जिसने मेरी जिंदगी में हर बार उजाला भरा।” उसने सीमा का हाथ थामा—”सीमा, अब मैं तुम्हें माफ करता हूं। अतीत की गलतियों को भूलकर मैं तुम्हारे साथ नई शुरुआत करना चाहता हूं।”
भीड़ तालियों से गूंज उठी। सीमा ने अरुण के कदमों में सिर झुका दिया। “धन्यवाद अरुण, मुझे दूसरा मौका देने के लिए। अब यह साथ कभी नहीं टूटेगा।”
कभी-कभी किस्मत हमें वहीं पहुंचा देती है जहां से हम भागना चाहते हैं। लेकिन सच्चा पछतावा और प्यार अगर दिल से हो, तो टूटे रिश्ते भी जुड़ सकते हैं।
यह कहानी हमें सिखाती है कि किस्मत का खेल अजीब होता है, लेकिन सच्चा प्यार और पछतावा हर दर्द को जीत सकता है।
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