जब घमंड टूटा: साधारण लड़के की असाधारण सच्चाई
मुंबई के सबसे हाई-क्लास कॉलेज, सेंट रेजिस कॉलेज में हर दिन किसी रॉयल शो जैसा माहौल रहता था। चमचमाती गाड़ियाँ, महंगे कपड़े और सोशल मीडिया के लिए पोज करती जिंदगी। इसी कॉलेज की सबसे चर्चित हस्ती थी नम्रता चौहान, मशहूर रियल एस्टेट टाइकून विक्रम चौहान की इकलौती बेटी। नम्रता को लगता था कि पैसा और रुतबा ही सब कुछ है। उसकी आदत थी कि हर कोई उसके सामने झुक जाए।
एक दिन कॉलेज में दाखिल हुआ उज्जवल—सीधे-सादे कपड़े, पुरानी जींस, साधारण बैग और चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास। पहली ही क्लास में प्रोफेसर ने प्रोजेक्ट ग्रुप बनाने के लिए नाम चुने और किस्मत से नम्रता और उज्जवल एक ही ग्रुप में आ गए। नम्रता ने उसे देखा और तिरस्कार भरे लहजे में अपनी सहेली से कहा, “अब तो स्कॉलरशिप वाले भी सेंट में आ गए हैं।” उज्जवल ने बस शांति से जवाब दिया, “प्रोजेक्ट की डेडलाइन पास है, हमें समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।”
नम्रता को यह बात भीतर तक चुभ गई। उसे लगा कि उज्जवल उसकी इज्जत नहीं करता, इसलिए उसने ठान लिया कि वह उसे उसकी औकात दिखाकर रहेगी। लाइब्रेरी, कैंटीन, क्लासरूम—हर जगह नम्रता उसकी सादगी का मजाक उड़ाती, उसके कपड़ों पर टिप्पणी करती और उसके शांत स्वभाव को कायरता समझती। लेकिन उज्जवल हर बार शांति से जवाब देता, जैसे “ज्ञान का जरिया मायने रखता है, उसकी कीमत नहीं।” धीरे-धीरे कॉलेज के कुछ छात्रों को भी उज्जवल की बातें समझ में आने लगीं।
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फेस्ट के दौरान नम्रता हमेशा की तरह शोस्टॉपर थी, लेकिन इस बार उसका ध्यान बार-बार उज्जवल पर जाता था। उज्जवल स्टेज के पीछे तकनीकी टीम में काम कर रहा था, सबको शांत लेकिन मजबूती से निर्देश दे रहा था। नम्रता ने ताना मारा, “टेक्निशियन बाबू, स्टेज पर आने की हिम्मत नहीं होती क्या?” उज्जवल ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “हर किसी का स्टेज अलग होता है, कोई तालियों के बीच खड़ा होता है, कोई उन तालियों के पीछे मेहनत करता है।”
फेस्ट का सबसे बड़ा आकर्षण था चैरिटी ऑक्शन। नम्रता को पूरा यकीन था कि उसके पापा सबसे महंगी पेंटिंग खरीदेंगे। लेकिन जब 10 करोड़ की बोली लगी तो सब दंग रह गए। मंच पर आया वही साधारण उज्जवल। माइक पर घोषणा हुई—“मिलिए उज्जवल से, भारत की सबसे बड़ी टेक कंपनी राजको टेक्नोलॉजी का संस्थापक और सीईओ।” नम्रता के होश उड़ गए। जिसे वह रोज नीचा दिखाती थी, असल में वह अरबपति टेक आइकॉन था। उसने कॉलेज में अपनी पहचान छुपाई थी ताकि वह आम छात्रों की जिंदगी जी सके।
अब कॉलेज में हर कोई उज्जवल की तारीफ करने लगा। लड़कियाँ सेल्फी लेने के बहाने खोजने लगीं, लड़के दोस्ती करने को आतुर हो गए। लेकिन नम्रता खुद से लड़ रही थी। उसे अपनी हर ताना, हर मजाक याद आ रहा था। कई दिनों तक नम्रता ने उज्जवल से नजरें चुराईं, लेकिन एक दिन उसने हिम्मत की। लाइब्रेरी में जाकर उसने कहा, “मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हें गलत समझा। तुम तो सबसे ऊँचे निकले।” उज्जवल ने मुस्कुराकर कहा, “मैं जानता था, तुम जैसी दिखती हो वैसी हो नहीं। बस अपने खोल में बंद थी।”
इसके बाद नम्रता बदलने लगी। वह दिखावे से बाहर निकलकर उज्जवल के साथ सच्ची बातें करने लगी। अब उसकी मेहनत और सोच कॉलेज में मिसाल बन गई। एक दिन बिजनेस इनोवेशन प्रोजेक्ट का ऐलान हुआ, जिसमें विजेता को स्कॉलरशिप और राजको टेक्नोलॉजी में इंटर्नशिप मिलनी थी। नम्रता ने दिन-रात मेहनत की, एक ऐसा ऐप बनाया जो दूरदराज गाँवों में बच्चों को मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा दे सके।
प्रेजेंटेशन के दिन नम्रता ने आत्मविश्वास से अपना सपना सबके सामने रखा। लेकिन एक लड़की वैशाली ने उस पर चोरी का आरोप लगा दिया। उज्जवल ने दोनों प्रोजेक्ट्स की जांच की और सबके सामने सच रखा—नम्रता का प्रोजेक्ट उसकी सोच और मेहनत का नतीजा था। विजेता बनी नम्रता चौहान।
उस शाम कॉलेज के गार्डन में नम्रता ने उज्जवल से कहा, “तुमने मेरी सोच, मेरा नजरिया और शायद मेरा दिल भी बदल दिया। मैं तुमसे प्यार करती हूँ।” उज्जवल ने उसका हाथ थाम लिया और कहा, “प्यार दिखावे से नहीं दिल से होता है। मैं भी तुमसे उतना ही प्यार करता हूँ।”
कुछ साल बाद, समंदर के किनारे सादगी भरी शादी में दोनों ने एक-दूसरे को अपना बना लिया। उनकी कहानी अब कॉलेज में मिसाल बन चुकी थी, जो घमंड और तानों से शुरू होकर आदर, समझदारी और प्यार की मिसाल बन गई।
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