बारिश की रात, एक टैक्सी ड्राइवर और एक टूटी हुई लड़की की इंसानियत से शुरू हुई कहानी

कहते हैं, कभी-कभी जिन रास्तों को हम अकेलेपन का नाम देते हैं, वही हमारी किस्मत बदल देते हैं। ऐसी ही एक कहानी है मोहित की, एक साधारण टैक्सी ड्राइवर, जिसकी जिंदगी उस दिन बदल गई जब एक बारिश भरी रात में उसने इंसानियत की मिसाल कायम की।

शाम का वक्त था। आसमान में बादल घिर आए थे और शहर धीरे-धीरे अंधेरे में डूब रहा था। मोहित, जो खुद अकेली जिंदगी जी रहा था—ना परिवार, ना कोई अपना—एक फैमिली को शहर के बाहर छोड़कर लौट रहा था। तभी बारिश इतनी तेज हो गई कि सड़क पर कुछ भी दिखना बंद हो गया। मोहित ने गाड़ी सड़क किनारे रोक दी, टोपी आंखों पर रखी और अधूरी नींद में खो गया।

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अचानक, टैक्सी की खिड़की पर जोर से दस्तक हुई। मोहित ने चौककर देखा—बारिश में भीगी एक लड़की, बाल बिखरे, आंखों में फैला काजल, फटे कपड़े और चेहरे पर डर। वह कांपती आवाज में बोली, “प्लीज दरवाजा खोलिए, वो लोग मेरे पीछे हैं।” मोहित ने बिना कुछ पूछे पिछला दरवाजा खोल दिया। लड़की अंदर आ गई और बोली, “गाड़ी चलाइए, कहीं भी बस दूर।” मोहित ने गाड़ी आगे बढ़ा दी, लेकिन उसके मन में सवालों का तूफान था—कौन थी ये लड़की, इतनी रात को, ऐसे हालात में?

कुछ ही देर में वह लड़की पिछली सीट पर बेहोश हो गई। मोहित ने गाड़ी रोककर देखा, उसके शरीर पर चोट के गहरे निशान थे। मोहित ने अपनी शॉल निकालकर उसे ओढ़ा दी और गाड़ी फिर स्टार्ट कर दी। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। थोड़ी देर बाद एक एसयूवी उनकी टैक्सी के आगे आकर रुकी। उसमें से दो लड़के निकले और पूछने लगे, “यहां कोई लड़की भागती हुई आई है क्या?” मोहित ने झूठ बोलकर लड़की को बचा लिया। लड़के चले गए, लेकिन मोहित के दिल में सवाल था—अब इस लड़की को कहां ले जाए?

मोहित ने फैसला लिया, उसे अपने घर ले जाएगा। घर बहुत छोटा था, बस एक कमरा, एक आंगन और एक किचन। उसने लड़की को बिस्तर पर लिटाया, शॉल से ढक दिया और खुद आंगन में कुर्सी पर बैठ गया। रात भर मन की बेचैनी और समाज के डर से जूझता रहा। सुबह हुई, बारिश थम चुकी थी। मोहित ने घर साफ किया, चाय और नाश्ता बनाया और लड़की से बात करने गया। लड़की जागी, घबराई हुई थी। मोहित ने उसे भरोसा दिलाया, “मैंने सिर्फ आपकी हिफाजत की है।”

लड़की ने कपड़ों की मांग की। मोहित ने अपने कपड़े दे दिए। लड़की ने नहा-धोकर सादे कपड़े पहने, मेकअप उतर गया था, अब वह एक मासूम और टूटी हुई लड़की लग रही थी। नाश्ते के दौरान उसने कहा, “मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है।” मोहित ने उससे पूछा, “जो लड़के तुम्हारा पीछा कर रहे थे, वो कौन थे?” लड़की ने जवाब देने से मना कर दिया। मोहित ने महसूस किया, उसके जख्म अभी ताजा हैं।

कुछ देर बाद लड़की ने पूछा, “क्या मैं कुछ दिन यहीं रह सकती हूं?” मोहित ने कहा, “लोग बातें बनाएंगे, तुम्हारी इज्जत दांव पर लगेगी।” लड़की ने कहा, “तो मुझे किसी अनाथालय में छोड़ दीजिए।” मोहित ने टैक्सी निकाली, लड़की को मेन रोड पर उतार दिया। वह भीड़ में खो गई। मोहित देर तक वहीं खड़ा रहा, उसकी परछाई दिल में रह गई।

रात को जब मोहित घर लौटा, तो देखा घर साफ है, खाने की खुशबू आ रही है। लड़की वापस आ गई थी। उसने कहा, “मुझे सिर्फ एक इंसान चाहिए था, जो नियत से नहीं, इंसानियत से देखे।” मोहित ने कहा, “अगर तुम्हें मेरे साथ रहना है, तो सिर्फ एक ही रास्ता है—शादी।” लड़की ने कुछ देर सोचा और फिर हां कर दी।

अगले दिन मोहित ने अपनी बहन को बुलाया, सबको सच्चाई बताई। सादगी से दोनों की शादी हो गई। रागिनी, अब मोहित की पत्नी, घर को घर बना देती है। हर सुबह चाय, रात को रोटियों की महक, कमरा अब सिर्फ नींद की जगह नहीं, बल्कि रिश्ता निभाने का मंदिर बन गया।

एक दिन उसी सड़क पर, जहां रागिनी पहली बार मोहित की टैक्सी में बैठी थी, दोनों साथ थे। मोहित ने आसमान की ओर देखा और बोला, “अगर उस रात तूफान ना होता, तो शायद तुम भी ना मिलती।” रागिनी मुस्कुराई, “कभी-कभी सबसे बड़ा तूफान, सबसे बड़ी पनाह बन जाता है।”

यह कहानी सिर्फ मोहब्बत की नहीं, इंसानियत की सबसे खूबसूरत मिसाल है। सोचिए, अगर आप मोहित की जगह होते, क्या करते? कमेंट करके जरूर बताएं। अगर कहानी दिल को छू गई हो, तो वीडियो को लाइक करें और चैनल को सब्सक्राइब करें, क्योंकि यहां हर कहानी सिर्फ इश्क नहीं, इंसानियत से शुरू होती है।