करोड़पति बाप की बेटी ने || अपने पिता की शादी समोसे बेचने वाली से करा दी || और फिर
प्रीति और सुनैना: एक अनकही कहानी
मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में एक आलीशान बंगले में संजीव नाम का एक करोड़पति रहता था। उसके कई बिजनेस थे, और वह शहर के सबसे प्रतिष्ठित लोगों में से एक था। संजीव की एक इकलौती बेटी थी, प्रीति। प्रीति पढ़ाई में बहुत होशियार और मेहनती लड़की थी। संजीव ने उसे शहर के सबसे बड़े और अच्छे कॉलेज में दाखिला दिलाया था ताकि उसकी पढ़ाई में कोई कमी न रहे।
प्रीति कॉलेज में बहुत अच्छी थी, लेकिन वह अपने पिता से कुछ अलग चाहती थी। वह जानती थी कि उसके पिता की जिंदगी में कोई खास नहीं था। संजीव ने कभी शादी नहीं की थी। प्रीति के दिल में हमेशा यह इच्छा रहती कि उसके पिता के जीवन में एक मां जैसी महिला आए, जो घर को खुशहाल बना सके।
प्रीति का कॉलेज शहर के व्यस्त इलाके में था। कॉलेज के बाहर एक छोटी सी चाय और समोसे की दुकान थी, जिसे सुनैना नाम की लगभग 40 साल की महिला चलाती थी। सुनैना की जिंदगी भी उतनी ही कठिन थी जितनी किसी आम इंसान की हो सकती है। वह विधवा थी, उसका एक बेटा था जो लव मैरिज कर चुका था और अपनी पत्नी के साथ कहीं और रहता था। सुनैना अकेली थी और चाय समोसे बेचकर अपने जीवन का गुजारा करती थी।
एक दिन प्रीति ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर कॉलेज के बाहर सुनैना की दुकान पर नाश्ता करने का फैसला किया। वह सोच रही थी कि इससे सुनैना को भी कुछ फायदा होगा। जब वे दुकान पर पहुँचीं, तो सुनैना ने बड़ी खुशी से उनका स्वागत किया। प्रीति ने देखा कि सुनैना के चेहरे पर एक अपनापन था, जो उसे अपनी मां की याद दिलाता था।
धीरे-धीरे प्रीति और उसके दोस्तों की सुनैना की दुकान पर आने की आदत बन गई। प्रीति सुनैना से बातें करती, उसकी जिंदगी के बारे में जानती। सुनैना ने प्रीति को अपनी कहानी बताई, जिससे प्रीति का दिल भर आया। सुनैना ने बताया कि कैसे उसका बेटा लव मैरिज कर गया, और कैसे वह अकेली रह गई। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारती थी।
प्रीति ने उस दिन अपने दिल में ठाना कि वह अपने पिता से सुनैना की शादी कराएगी। उसे लगा कि सुनैना ही उसके पिता के लिए सही साथी होगी। वह अपने पिता के पास गई और कहा, “पिताजी, मैं चाहती हूं कि आप शादी कर लें। मैं चाहती हूं कि मेरी मां की जगह कोई आपकी जिंदगी में आए।”
संजीव पहले तो हैरान हुआ। उसने कहा, “बेटी, मैं बूढ़ा हो चुका हूं, अब कौन मुझसे शादी करेगा?” लेकिन प्रीति ने अपनी बात पर अड़ जाना शुरू किया। उसने कहा, “पिताजी, आपने मुझसे वादा किया था कि जो भी मैं मांगूगी, आप पूरा करेंगे। अब मैं आपसे शादी करने के लिए कह रही हूं।”
संजीव ने अंततः वादा पूरा करने का निर्णय लिया। अगले दिन वह प्रीति के साथ कॉलेज गया और सुनैना से मिला। सुनैना भी इस प्रस्ताव से हैरान थी, लेकिन उसने प्रीति की सच्चाई और प्यार को समझा। उसने कहा, “बेटी, मैं आपकी चिंता नहीं करती, लेकिन क्या यह सही होगा? मैं तो एक साधारण महिला हूं और आप करोड़पति हैं।”
प्रीति ने मुस्कुराते हुए कहा, “चाची, मैं सब संभाल लूंगी। बस आप मुझे अपनी बेटी मानकर प्यार करें।”
धीर-धीरे संजीव और सुनैना के बीच पुरानी यादें जाग उठीं। वे दोनों एक-दूसरे को देखकर भावुक हो गए। प्रीति ने दोनों को एक-दूसरे के करीब लाने का काम किया। कुछ दिन बाद, संजीव और सुनैना की शादी हो गई।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। एक दिन संजीव और सुनैना के बीच एक बड़ा राज खुला। सुनैना ने बताया कि जब वह कॉलेज में पढ़ती थी, तब संजीव से उसका प्यार था। वह प्रेग्नेंट हो गई थी, लेकिन परिवार की नाराजगी के कारण उसे मजबूर होकर अपनी बेटी को अनाथ आश्रम में छोड़ना पड़ा। संजीव ने उस बेटी को गोद ले लिया था, और वह बेटी प्रीति ही थी।
यह सुनकर प्रीति की आंखों में आंसू आ गए। उसे पता चला कि वह अपनी असली मां से मिलने के लिए हमेशा तरस रही थी, और अब उसकी मां उसके सामने थी। परिवार फिर से एक साथ हो गया।
समय के साथ, प्रीति ने अपने पिता और मां के बीच के रिश्ते को मजबूत किया। उसने अपने पिता के बेटे से भी मुलाकात कराई, जो उसके सौतेले भाई थे। हालांकि कुछ संघर्ष हुए, लेकिन अंततः सबने मिलकर एक खुशहाल परिवार बनाया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्तों की कीमत पैसे से नहीं होती, बल्कि प्यार, समझदारी और सहानुभूति से होती है। चाहे जीवन कितनी भी कठिनाइयों से भरा हो, अगर हम एक-दूसरे का साथ दें, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है।
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