मुस्लिम दोस्त की कार बेचकर बना DM. फिर 7 साल बाद उसी के घर पहुंचा तो..
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दोस्ती का अमिट बंधन
भाग 1: बचपन की दोस्ती
यह कहानी है रफीक और विकास की, जो बिहार के एक छोटे से शहर में रहते थे। दोनों की दोस्ती बचपन से थी। रफीक एक जमींदार के बेटे थे, जबकि विकास एक गरीब किसान के बेटे थे। रफीक के पिता का कारोबार अच्छा चल रहा था, जिससे रफीक को अच्छी शिक्षा मिली और वह हमेशा अच्छे कपड़े पहनकर स्कूल जाता था। वहीं विकास के पिता कर्ज में डूबे थे और उनके पास पैसे की कमी थी। विकास के माता-पिता चाहते थे कि उनका बेटा बड़ा होकर डीएम बने, ताकि वह गरीबों की मदद कर सके।
दोनों के बीच की दोस्ती इतनी गहरी थी कि धर्म की दीवारें भी उनके बीच नहीं आ पाई। जब भी रफीक को विकास की जरूरत होती, विकास हमेशा उसके साथ होता और जब विकास को रफीक की जरूरत होती, तो रफीक भी उसके लिए दौड़ पड़ता। एक दिन विकास के पिता ने स्कूल की फीस भरने के लिए रफीक के पिता से मदद मांगी। रफीक के पिता ने खुशी-खुशी विकास के स्कूल की फीस भरी। यह दोस्ती का एक अद्भुत उदाहरण था।
भाग 2: नई चुनौतियों का सामना
जैसे-जैसे समय बीतता गया, विकास ने अपने माता-पिता से कहा कि वह दिल्ली जाकर पढ़ाई करना चाहता है। लेकिन उसके माता-पिता ने कहा, “बेटा, हमारे पास पैसे नहीं हैं। हम तुम्हें दिल्ली के कॉलेज में नहीं भेज सकते।” विकास ने अपने माता-पिता की स्थिति को समझा और उनके साथ सहमति जताई।
रफीक ने जब यह सुना, तो उसने ठान लिया कि वह अपने दोस्त की मदद करेगा। उसने अपने पिता से बात की और कहा, “पापा, मैं और विकास एक साथ पढ़ाई करना चाहते हैं। अगर विकास को पैसे की जरूरत है, तो मैं उसकी मदद करूंगा।” रफीक के पिता ने कहा, “ठीक है, हम विकास की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे।” लेकिन विकास ने यह मदद लेने से मना कर दिया।
भाग 3: एक नई राह
फिर एक दिन, रफीक के पिता ने एक एनजीओ के संस्थापक को विकास के पास भेजा। एनजीओ उन छात्रों की मदद करता था जो पढ़ाई में अच्छे थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। विकास ने जब एनजीओ के प्रतिनिधि से बात की, तो उसकी अच्छी मार्कशीट ने उन्हें प्रभावित किया। इसके बाद विकास को स्कॉलरशिप मिली और वह दिल्ली के एक अच्छे कॉलेज में दाखिला ले सका।
अब दोनों दोस्त दिल्ली में एक साथ पढ़ाई करने लगे। विकास का सपना था कि वह यूपीएससी की परीक्षा देकर डीएम बने। वहीं रफीक अपने पिता के व्यवसाय को संभालने की सोच रहा था। दोनों दोस्त हॉस्टल में एक ही रूम में रहते थे, लेकिन रफीक ने देखा कि विकास हमेशा चिंतित रहता था।
भाग 4: सपनों की ओर बढ़ते कदम
एक दिन रफीक ने विकास से पूछा, “तुम इतने परेशान क्यों हो?” विकास ने कहा, “मेरा सपना डीएम बनने का है, लेकिन मुझे अच्छे कोचिंग संस्थान में दाखिला लेना होगा। मेरे पास पैसे नहीं हैं।” रफीक ने तय किया कि वह किसी भी हाल में विकास की मदद करेगा।
रफीक ने अपनी प्रिय कार बेचने का निर्णय लिया। उसे अपनी कार से बहुत प्यार था, लेकिन दोस्ती के लिए उसने इसे बेचने का साहस जुटाया। उसने अपनी कार बेचकर विकास को पैसे दिए, जिससे वह एक अच्छे कोचिंग संस्थान में दाखिला ले सके।
भाग 5: सफलता की ओर
विकास ने रफीक द्वारा दिए गए पैसे से दिल्ली के एक बड़े कोचिंग संस्थान में दाखिला लिया। उसने दिन-रात मेहनत की और यूपीएससी की तैयारी में जुट गया। उसके मन में केवल एक ही लक्ष्य था – अपने माता-पिता का सपना पूरा करना।
विकास ने अपनी मेहनत से अच्छे अंक प्राप्त किए और यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। उसकी मेहनत और रफीक की मदद ने उसे डीएम बनने का सपना पूरा करने में मदद की।
भाग 6: समय का पहिया
कुछ सालों बाद, विकास को राजस्थान के एक छोटे से शहर का कलेक्टर बना दिया गया। उसके माता-पिता बहुत खुश थे। वहीं रफीक ने अपने पिता का व्यवसाय संभालना शुरू कर दिया। लेकिन विकास के पास अब समय नहीं था। वह अपने काम में इतना व्यस्त हो गया कि अपने दोस्तों और परिवार से मिलने का समय नहीं निकाल पाया।
सात साल बीत गए, लेकिन विकास अपने गांव नहीं जा सका। सबको ऐसा लगा कि वह अब बड़ा आदमी बन गया है और अपने पुराने दोस्तों को भूल गया है। लेकिन विकास के मन में अपने दोस्त रफीक के लिए बहुत प्यार और सम्मान था।
भाग 7: एक नई शुरुआत
एक दिन विकास ने तय किया कि वह एक महीने की छुट्टी लेकर अपने घर जाएगा। उसने अपनी रिपोर्ट में मेडिकल कंडीशन बताई और घर जाने की अनुमति मांगी। जब वह अपने घर पहुंचा, तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
विकास ने सबसे पहले अपने माता-पिता के चरण स्पर्श किए और फिर रफीक को ढूंढने लगा। लेकिन जब उसने अपने पिता से पूछा कि रफीक कहां है, तो उसके पिता भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “बेटा, रफीक अब हमारे बीच नहीं है। उसके पिता का निधन हो गया और उसकी स्थिति बहुत खराब हो गई है।”
भाग 8: रफीक का संघर्ष
विकास ने तुरंत रफीक के घर जाने का फैसला किया। वहां पहुंचकर उसे पता चला कि रफीक ने अपना घर बेच दिया है और अब एक कच्चे मकान में रहता है। जब विकास ने रफीक को देखा, तो वह बहुत बदल चुका था। उसकी हालत बहुत खराब थी।
विकास ने रफीक से कहा, “तुमने मुझे क्यों नहीं बताया कि तुम कितनी मुश्किलों में हो?” रफीक ने कहा, “मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था। तुम अपने काम में व्यस्त थे।”
भाग 9: दोस्ती का असली मतलब
विकास ने कहा, “मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकता। तुमने मेरी जिंदगी बदल दी। अब मैं तुम्हारी मदद करूंगा।” विकास ने अपने पिछले सात साल की कमाई अपने साथ लाई थी। वह चाहता था कि वह रफीक को पैसे देकर उसकी मदद करे।
उसने रफीक को पैसे दिए और कहा, “यह तुम्हारे लिए है। तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारी मदद करूंगा।” रफीक ने पैसे लेने से मना कर दिया, लेकिन विकास ने कहा, “तुम्हें यह पैसे लेने होंगे। यह तुम्हारी मेहनत का फल है।”
भाग 10: एक नई शुरुआत
विकास ने रफीक के लिए एक सरकारी नौकरी की व्यवस्था की। रफीक को अब एक स्थायी आय मिल गई थी। उसने धीरे-धीरे अपने परिवार की स्थिति को सुधारना शुरू किया। विकास ने अपने दोस्त की मदद करके अपनी दोस्ती को और मजबूत किया।
भाग 11: प्रकृति का न्याय
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जो हम करते हैं, वह व्यर्थ नहीं जाता। अच्छे कर्मों का फल हमेशा वापस आता है। रफीक ने अपने दोस्त की मदद की थी, और अब विकास ने उसकी मदद की। यह प्रकृति का सबसे बड़ा न्याय था।
भाग 12: दोस्ती की मिसाल
विकास और रफीक की दोस्ती अब पूरे शहर में एक मिसाल बन गई। लोग उनकी कहानी सुनकर प्रेरित होते थे। वे दोनों एक-दूसरे के साथ खड़े रहे और कठिनाइयों का सामना किया।
भाग 13: अंत की ओर
इस तरह, रफीक और विकास ने अपने जीवन में एक-दूसरे की मदद करके अपने सपनों को पूरा किया। उन्होंने साबित किया कि सच्ची दोस्ती कभी खत्म नहीं होती।
निष्कर्ष
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दोस्ती में धर्म, जाति और अमीरी-गरीबी की दीवारें नहीं होतीं। सच्ची दोस्ती हमेशा एक-दूसरे की मदद करती है और कठिनाइयों का सामना करती है।
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